
राजधानी दिल्ली में रविवार को भी हवा की क्वालिटी ने कोई सुधार नहीं दिखाया। उल्टा, प्रदूषण ने इतना तांडव मचाया कि कई इलाकों का AQI 400 के ऊपर पहुंच गया। यानी हवा में ऑक्सीजन का रोल छोटा और प्रदूषकों का रोल बड़ा हो गया।
सीपीसीबी के मुताबिक 16 नवंबर की सुबह दिल्ली का हाल कुछ ऐसा रहा, मानो शहर एक विशाल गैस चैंबर में बदल गया हो।
कौन सा इलाका कितना दमघोंटू?
सुबह 8 बजे तक ये AQI दर्ज हुआ:
- आनंद विहार — 412
- अशोक विहार — 421
- बुराड़ी — 404
- चांदनी चौक — 418
- ITO — 417
- नरेला — 420
- रोहिणी — 422
- सोनिया विहार — 414
- वज़ीरपुर — 434 (टॉप कॉन्टेंडर for Worst Air!)
400–500 के बीच AQI को ‘गंभीर’ कहा जाता है — यानी “सांस लोगे, तो भी खतरा; न लोगे, तो भी खतरा” वाली स्थिति।
क्यों खतरनाक है ‘गंभीर’ श्रेणी?
दिल्ली में पिछले कई दिनों से हवा स्मॉग, धूल, धुएं और सरीखे-अदृश्य-हत्यारों से भर गई है। अस्थमा के मरीज़ों की मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती हैं, स्वस्थ व्यक्ति भी खांसी, आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत महसूस कर सकता है। बुज़ुर्गों और बच्चों पर विशेष प्रभाव पड़ता है यानी दिल्ली की हवा ने फिर से ‘अलार्म मोड’ ऑन कर रखा है।

सरकार + सिस्टम + जनता — “कोई तो आगे आए!”
हर बार की तरह इस बार भी सवाल वही: प्रदूषण कम कौन करेगा?
क्योंकि हवा को साफ रखने की जिम्मेदारी हर साल आने वाली सर्दियों की खातिर शेल्व्स में रख दी जाती है।
मौसम ठंडा नहीं हुआ, बस फ्रिज जैसा हो गया है— धुंध बाहर की, जलन अंदर की। जब तक AQI सुधरे नहीं, तब तक मास्क पहनिए… वो भी सिर्फ फैशन के लिए नहीं।
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